Pesticides Ban: उत्तर प्रदेश सरकार ने बासमती धान की फसल पर 60 दिन के लिए पेस्टिसाइड के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह कदम उन 30 जनपदों में उठाया गया है जहां बासमती धान की खेती प्रमुखता से की जाती है. इस प्रतिबंध का मुख्य उद्देश्य बासमती चावल के निर्यात को बढ़ाना और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुकूल बनाना है.
जिलों में पेस्टिसाइड के प्रयोग पर प्रतिबंध के कारण
फिरोजाबाद सहित उत्तर प्रदेश के 30 जिलों में पेस्टिसाइड के प्रयोग पर रोक लगाने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि विदेशों में निर्यात के दौरान इन केमिकल्स के अवशेष पाए जाने से चावल की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे थे. इससे न केवल चावल के निर्यात में कमी आई बल्कि यह भारतीय बासमती की वैश्विक छवि को भी प्रभावित कर रहा था.
बासमती चावल के निर्यात पर असर
राज्य में फफूंदनाशक रसायन ट्राईसाइक्लाजोल के उच्च अवशेष स्तर के कारण पिछले वर्षों में बासमती चावल का निर्यात 15% तक घट गया था. यह रसायन यूरोपीय संघ (EU regulations) और अन्य बाजारों के मानकों के विपरीत पाया गया था जिससे भारतीय बासमती की मांग में गिरावट आई.
विकल्प के रूप में जैविक कीटनाशकों का प्रयोग
उत्तर प्रदेश सरकार ने कीटनाशक विक्रेताओं को यह निर्देश दिया है कि वे बासमती धान में जैविक कीटनाशकों का प्रयोग बढ़ाएं. इसमें नीम ऑयल, ट्राईकोडरमा, और अन्य जैविक उत्पाद शामिल हैं (promoting organic farming). ये उत्पाद न केवल फसल के लिए सुरक्षित हैं, बल्कि ये पर्यावरण के लिए भी हानिरहित हैं.