पाकिस्तान इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। चीन से लिए गए भारी कर्ज और इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड (IMF) से मिलने वाले बेलआउट पैकेज की शर्तें देश की आर्थिक हालत को और भी दयनीय बना रही हैं। जहां एक तरफ सरकार को वैश्विक मदद और सहयोग की आवश्यकता है वहीं उसके सामने आईएमएफ की कठिन शर्तें पालन करने की चुनौती है।
जनता पर महंगाई की मार
पाकिस्तान में जीवनयापन की लागत असहनीय स्तर पर पहुंच गई है। आम नागरिक बुनियादी जरूरतों जैसे खाना, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी जूझ रहे हैं। आटा और तेल की कीमतें ऐसी ऊंचाइयों पर हैं कि एक सामान्य पाकिस्तानी के लिए रोजाना का खाना भी दूर की कौड़ी बनता जा रहा है।
आर्थिक प्राथमिकताएँ और रक्षा बजट
पाकिस्तानी सरकार ने अपने रक्षा बजट में 15% की बढ़ोतरी की है जिसे देखते हुए जनता में नाराजगी है। भारी महंगाई और आर्थिक दुविधाओं के बीच यह फैसला आम लोगों के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।
जीडीपी बढ़ोतरी और आगे का प्लान
वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब का दावा है कि देश की जीडीपी बढ़ोतरी 3.6% रहेगी जो कि पिछले वर्ष के 3.5% से मामूली अधिक है। फिर भी आर्थिक विशेषज्ञ इस अनुमान पर संदेह व्यक्त करते हैं और मानते हैं कि वास्तविक विकास दर कहीं और भी कम हो सकती है।
कर्ज और आर्थिक रणनीतियाँ
सरकार का एक बड़ा हिस्सा कर्ज की भरपाई में जा रहा है। नए कर्जों के चक्रव्यूह में फंसकर पाकिस्तान आर्थिक रूप से और भी कमजोर होता जा रहा है। इस बीच, सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण की योजना बनाई है, जिससे वह आर्थिक संकट से उबरने की कोशिश कर रही है।