बंसल आई हॉस्पिटल ने अंबाला में एक नई लेजर दृष्टि सुधार तकनीक SILK (स्मूथ इंसीजन लेंटिक्यूल केराटोमाइल्यूसिस) की शुरुआत की है। यह उत्तर भारत में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और राजस्थान के मरीजों के लिए एक बड़ी सौगात है। इस तकनीक का उद्देश्य मायोपिया और एस्टिग्मेटिज्म के इलाज में क्रांति लाना है।
SILK तकनीक की विशेषताएँ
SILK प्रक्रिया, जो जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा विकसित एलीटा लेजर प्रणाली का उपयोग करती है, कोर्निया के भीतर एक छोटा डिस्क के आकार का लेंटिक्यूल बनाती है जिसे बाद में एक छोटे चीरे के माध्यम से हटा दिया जाता है। यह नई तकनीक मौजूदा कोंटूरा और स्माइल प्रक्रियाओं की तुलना में अधिक सुरक्षित, तेजी से रिकवरी प्रदान करने वाली, और कम सूखापन उत्पन्न करने वाली है। यह विशेष रूप से उन मरीजों के लिए उपयुक्त है जो कंप्यूटर इंजीनियर या बैंक कर्मचारी हैं और लंबे समय तक स्क्रीन पर काम करते हैं।
डॉ. आशीष बंसल का वक्तव्य
डॉ. आशीष बंसल, जो कि इस प्रक्रिया के अग्रणी विशेषज्ञ हैं, ने मीडिया ब्रीफिंग में इस तकनीक के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि SILK तकनीक रोगियों को बिना चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के क्रिस्टल-स्पष्ट दृष्टि प्रदान करने में सक्षम है। इससे मरीजों की जीवनशैली में सुधार होने के साथ-साथ उनकी दैनिक गतिविधियां भी अधिक सरल हो जाती हैं।

उत्तर भारत में SILK तकनीक का असर
बंसल आई हॉस्पिटल ने SILK तकनीक के माध्यम से उत्तर भारत में लेजर दृष्टि सुधार सेवाओं में नवाचार की एक नई दिशा स्थापित की है। इससे न केवल अंबाला और आसपास के क्षेत्रों के मरीजों को लाभ होगा, बल्कि दूर-दूर से आने वाले मरीजों को भी उन्नत नेत्र देखभाल सुविधाएँ मिलेंगी। यह तकनीक भारत में रिफ्रेक्टिव सर्जरी की बढ़ती मांग के साथ मिलकर नेत्र देखभाल क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगी।