हरियाणा के सरकारी स्कूलों में 2014 से 2016 के बीच हुए चार लाख फर्जी दाखिलों के मामले ने राज्य के शिक्षा तंत्र में बड़ी सेंध लगाई है। इस घोटाले के तहत 300 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का दुरुपयोग हुआ है, जिसमें मिड-डे मील और अन्य शिक्षा संबंधित सुविधाओं के नाम पर बड़ी चोरी सामने आई है। इस प्रकरण में अब CBI ने अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
CBI ने लगाए गंभीर आरोप
CBI ने हरियाणा के शिक्षा विभाग के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। आरोप है कि 2014 से 2016 के बीच फर्जी दाखिलों की आड़ में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं हुईं, जिसमें बच्चों के नाम पर विभिन्न फंड्स जैसे कि मिड-डे मील, वर्दी और अन्य शैक्षणिक सहायता की राशि वसूली गई। CBI ने IPC की धारा 167, 218, 409, 418, 420, 477-A, और 120-B के तहत केस दर्ज किए हैं।
शिक्षा अधिकारियों से मांगा गया पूरा रिकॉर्ड
CBI ने प्रदेश के शिक्षा निदेशालय पंचकूला से 2014 से 2018 तक के सभी शिक्षा अधिकारियों का डेटा मांगा है, जिसमें मिड-डे मील इंचार्ज और बीईओ, बीईईओ के रिकॉर्ड्स शामिल हैं। यह कदम उठाने का मुख्य उद्देश्य उन सभी के खिलाफ कठोर कार्रवाई करना है, जिन्होंने इस धोखाधड़ी में भागीदारी की है।
मिड-डे मील में बड़ी राशि का गलत इस्तेमाल
जांच के दौरान पता चला कि मिड-डे मील प्रोग्राम के तहत विभाग द्वारा जारी किए गए करीब 170 करोड़ रुपये का मिसयूज हुआ है। इस राशि का उपयोग बच्चों को दिए जाने वाले मिड-डे मील के बजाय अन्य गैर-कानूनी कार्यों में किया गया था। इस तरह की गड़बड़ियों से शिक्षा प्रणाली में गहरी चोट पहुंची है, जिसका असर सीधे तौर पर राज्य के भविष्य, यानि कि बच्चों पर पड़ा है।